📚 हदीस शरीफ़

हदीस—नबी ﷺ की बातों और अमल की सच्ची राह।

1 हदीस

اِنَّمَا الْاَعْمَالُ بِالنِّيَّاتِ
“अमल का دارो مدار नीयतों पर है।”
— सहीह बुख़ारी

2 हदीस

الدِّينُ يُسْرٌ
“धर्म (दीन) में आसानी है।”
— सहीह बुख़ारी

3 हदीस

لَا يَرْحَمُ اللَّهُ مَنْ لَا يَرْحَمُ النَّاسَ
“जो लोगों पर रहम नहीं करता, अल्लाह उस पर रहमत नहीं करता।”
— सहीह मुस्लिम

4 हदीस

خَيْرُ النَّاسِ اَنْفَعُهُمْ لِلنَّاسِ
“सबसे अच्छा इंसान वह है जो लोगों के लिए सबसे ज़्यादा फ़ायदा पहुँचाए।”
— जामिअ तिर्मिज़ी

5 हदीस

اَلْمُسْلِمُ مَنْ سَلِمَ الْمُسْلِمُونَ
“मुसलमान वह है जिसकी ज़बान और हाथ से दूसरे मुसलमान सुरक्षित रहें।”
— बुख़ारी

6 हदीस

الطُّهُورُ شَطْرُ الْإِيمَانِ
“पाक़ी (तहारा) ईमान का आधा हिस्सा है।”
— मुस्लिम

7 हदीस

مَنْ صَمَتَ نَجَا
“जो चुप रहा वह नजात पा गया।”
— तिर्मिज़ी

8 हदीस

الدُّعَاءُ مُخُّ الْعِبَادَةِ
“दुआ इबादत की जान है।”
— तिर्मिज़ी

9 हदीस

تَبَسُّمُكَ فِي وَجْهِ أَخِيكَ صَدَقَةٌ
“अपने भाई के चेहरे पर मुस्कुराहट भी सदक़ा है।”
— जामिअ तिर्मिज़ी

10 हदीस

الكَلِمَةُ الطَّيِّبَةُ صَدَقَةٌ
“अच्छा शब्द बोलना भी सदक़ा है।”
— बुख़ारी

11 हदीस

الْحَيَاءُ مِنَ الْإِيمَانِ
“हया (शर्म) ईमान का हिस्सा है।”
— मुस्लिम

12 हदीस

لَا ضَرَرَ وَلَا ضِرَارَ
“न तो हानि पहुँचाओ और न ही हानि से बदला दो।”
— अहमद

13 हदीस

مَنْ سَلَكَ طَرِيقًا يَلْتَمِسُ فِيهِ عِلْمًا
“जिसने इल्म की तलाश में रास्ता पकड़ लिया, अल्लाह उसके लिए जन्नत आसान करता है।”
— मुस्लिम

14 हदीस

مَنْ تَوَاضَعَ لِلّٰهِ رَفَعَهُ اللّٰهُ
“जो अल्लाह के लिए नम्र होता है, अल्लाह उसे बढ़ा देता है।”
— मुस्लिम

15 हदीस

الرَّاحِمُونَ يَرْحَمُهُمُ الرَّحْمَنُ
“जो रहम करते हैं, उन पर रहमान रहम करता है।”
— तिर्मिज़ी

16 हदीस

إِنَّ اللّٰهَ جَمِيلٌ يُحِبُّ الْجَمَالَ
“अल्लाह ज़्यादा सुंदर है और खूबसूरती को पसंद करता है।”
— तिर्मिज़ी

17 हदीस

الْمُؤْمِنُ مِرْآةُ أَخِيهِ
“मोमिन अपने भाई के लिए आइना है।”
— अहमद

18 हदीस

مَنْ أَحَبَّ لِلّٰهِ وَأَبْغَضَ لِلّٰهِ
“अल्लाह के लिए प्रेम और अल्लाह के लिए नापसंद करने वाला, उसका ईमान पूरा है।”
— तिर्मिज़ी

19 हदीस

الدُّعَاءُ مُخُّ الْعِبَادَةِ
“दुआ इबादत का सार है।”
— तिर्मिज़ी

20 हदीस

تَبَسُّمُكَ فِي وَجْهِ أَخِيكَ صَدَقَةٌ
“अपने भाई के चेहरे पर मुस्कान भी सदक़ा है।”
— जामिअ तिर्मिज़ी